Khilafat Movement in Hindi: खिलाफत आंदोलन की शुरुआत 27 अक्टूबर 1919 को हुई समझी जा सकती है, क्योंकि इसी दिन देश भर में खिलाफत सम्मलेन हुआ। सन 1919 में गांधीजी को इस बात का एहसास होने लगा था कि कांग्रेस कहीं न कहीं कमज़ोर पड़ रही हैं तो उन्होंने कांग्रेस की डूबती नैया को बचाने के लिए और साथ ही साथ हिन्दू – मुस्लिम एकता के द्वारा ब्रिटिश सरकार को बाहर निकालने के लिए अपने प्रयास शुरू किये. इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उन्होंने मुस्लिम समाज का एक अधिवेशन बुलाया.
Khilafat Movement in Hindi
इस अधिवेशन में मुसलमानों ने इस बात की संभावना पर विचार किया कि क्या असहयोग करके अंग्रेज सरकार को खिलाफत की गलती दूर करने के लिए विवश किया जा सकता है। 10 मार्च 1920 को कलकत्ता में खिलाफत सम्मलेन हुआ और उसमे यह फैसला कर लिया गया कि आन्दोलन के लक्ष्य को आगे बढाने के लिए असहयोग सर्वोत्तम हथियार हो सकता है।
खिलाफत आंदोलन वैश्विक स्तर पर चलाया गया आंदोलन था, जो मुस्लिमों के कालिफ [Caliph] के खिलाफ चलाया गया था. 9 जून 1920 को इलाहाबाद में खिलाफत सम्मलेन हुआ और वहां असहयोग का सहारा लेने पर सर्वसम्मति बनी। 22 जून 1920 को मुस्लिमों ने वायसराय को सन्देश भेजा कि यदि एक अगस्त 1920 से पूर्व तुर्क लोगों की शिकायतें दूर न की गईं तो वे असहयोग आन्दोलन शुरू करेंगे।
30 जून 1920 को इलाहाबाद में खिलाफत कमेटी की बैठक हुई, जिसमें तय हुआ कि वायसराय को एक महीने का नोटिस देकर असहयोग आन्दोलन शुरू किया जाए। 1 जुलाई 1920 को नोटिस दिया गया और 1 अगस्त 1920 से असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ। इस संक्षिप्त विवरण से पता चलता है कि असहयोग आन्दोलन, खिलाफत कमेटी द्वारा शुरू किया गया था। इसकी शुरूआत खिलाफत सम्मलेन से हो चुकी थी। यह स्वराज के लिए नहीं, बल्कि खिलाफत आन्दोलन में मुसलमानों की सहायता के लिए था।
Khilafat Movement in Hindi
महात्मा गांधी ने संपूर्ण राष्ट्र के मुस्लिमों की कांफ्रेंस [All India Muslim Conference] रखी और वे स्वयं इस कांफ्रेंस के प्रमुख व्यक्ति भी थे. इस आंदोलन ने मुस्लिमों को बहुत सपोर्ट किया और गांधीजी के इस प्रयास ने उन्हें राष्ट्रीय नेता [नेशनल लीडर] बना दिया और कांग्रेस में उनकी खास जगह भी बन गयी. परन्तु सन 1922 में खिलाफत आंदोलन बुरी तरह से बंद हो गया और इसके बाद गांधीजी अपने संपूर्ण जीवन ‘हिन्दू मुस्लिम एकता’ के लिए लड़ते रहे, परन्तु हिन्दू और मुस्लिमों के बीच दूरियां बढ़ती ही गयी.