Quit India Movement in Hindi-: महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया तीसरा बड़ा आंदोलन था भारत छोड़ो आंदोलन. गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ अपनी आखिरी मुहिम “भारत छोड़ो आंदोलन” (Quit India movement) चलाई, इसकी शुरुआत महात्मा गांधी द्वारा अगस्त, सन 1942 में की गयी थी. जिसे हम “अगस्त क्रांति” के नाम से भी जानते हैं. आजादी को तरसते करोड़ो देशभक्तों ने इस आंदोलन के जरिए ब्रिटिश शासन की नींव को हिलाकर रख दिया. बाद में इसी आंदोलन ने 1947 में मिली आजादी की नींव रखी. आइये जानते है इस आन्दोलन के बारे में.
Quit India Movement in Hindi
Quit India Movement की शुरुआत कैसे हुयी?
सर स्टैफोर्ड क्रिप्स,जो वामपंथी लेबर दल के सदस्य थे और जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का सक्रिय समर्थन किया था, इन्होने ही क्रिप्स मिशन की अध्यक्षता की थी|यह मिशन द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की ओर से ब्रिटिशों को पूर्ण समर्थन पाने के लिए लाया गया गया था. ब्रिटिश, भारत में वास्तविक राष्ट्रीय सरकार की स्थापना करने के इच्छुक नहीं थे. उन्होंने रजवाड़ों के हितों को बढावा देने का भी प्रयास किया. हालाँकि उन्होंने संविधान सभा की मांग स्वीकार ली थी लेकिन इस बात पर जोर दिया कि सभा में भारतीय राज्यों का प्रतिनिधित्व रजवाड़ों द्वारा नामित सदस्यों के द्वारा किया जाये और राज्यों की जनता का इसमें कोई प्रतिनिधितित्व न हो.
“क्रिप्स मिशन” के खाली हाथ भारत से वापस जाने पर भारतीयों को अपने छले जाने का अहसास हुआ. “क्रिप्स मिशन” की असफलता के बाद गांधी जी ने एक और बड़ा आन्दोलन प्रारम्भ करने का निश्चय लिया जिसे भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India movement) का नाम दिया गया.
Quit India Movement in Hindi
Quit India Movement असफल होने के कारण –
दूसरे विश्वयुद्ध के कारण परिस्थितियां अत्यधिक गंभीर होती जा रही थीं. जापान सफलतापूर्वक सिंगापुर, मलाया और बर्मा पर कब्ज़ा कर भारत की ओर बढ़ने लगा, वहीं युद्ध के कारण तमाम वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़ रहे थे और इस वजह से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ भारतीय जनमानस में असन्तोष व्याप्त होने लगा था.
परन्तु इसके संचालन में हुई गलतियों के कारण यह आंदोलन जल्दी ही धराशायी [collapsed] हो गया अर्थात यह आंदोलन सफल नहीं हो सका था. इसके असफल होने के पीछे कई कारण थे, जैसे -: इस आंदोलन में विद्यार्थी, किसान, आदि सभी के द्वारा हिस्सा लिया जा रहा था और उनमें इस आंदोलन को लेकर बड़ी लहर थी और आंदोलन संपूर्ण देश में एक साथ शुरू नहीं हुआ अर्थात् आंदोलन की शुरुआत अलग–अलग तिथियों पर होने से इसका प्रभाव कम हो गया, इसके अलावा बहुत से भारतीयों को ऐसा भी लग रहा था कि यह स्वतंत्रता संग्राम का चरम हैं और अब हमें आज़ादी मिल ही जाएगी और उनकी इस सोच ने आंदोलन को कमजोर कर दिया.
Quit India Movement से क्या फायदा हुआ –
परन्तु इस आंदोलन से एक बात ये अच्छी हुई कि इससे ब्रिटिश शासकों को यह एहसास हो गया था, कि अब भारत में उनका शासन नहीं चल सकता, उन्हें आज नहीं तो कल भारत छोड़ कर जाना होगा. इस तरह गांधीजी द्वारा उनके जीवनकाल में चलाये गये सभी आंदोलनों ने हमारे देश की आज़ादी के लिए अपना सहयोग दिया और अपना बहुत गहरा प्रभाव छोड़ा.
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