Top 15 Tourist Places in India -: भारत एक अतुलनीय देश है. यह आश्च्यर्यों से भरी आध्यात्मिकता की एक जीवंत भूमि है, जहां पारंपरिक और आधुनिक दोनों दुनिया मिलती है। क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का सातवां सबसे बड़ा और जनसंख्या के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश, भारत एक समृद्ध विरासत समेटे हुए है जो सदियों से चली आ रही विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों का परिणाम है।
Table of Contents
Top 15 Tourist Places in India
हमने यहाँ आपके लिए भारत के 15 सबसे प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों (Top 15 Tourist Places) के इतिहास और उनके बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध करवाई है। हमें आशा है की आपको ये जानकारियां पसंद आएगी और आप छुट्टियों में इनमें से (Top 15 Tourist Places) किसी एक जगह घुमने का प्रोग्राम जरुर बनायेंगे. तो चलिए भारत यात्रा शुरू करते है-
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The Taj Mahal, Agra
Top 15 Tourist Places – 1.The Taj Mahal, Agra -: ताजमहल भारतीय शहर आगरा में यमुना नदी के दक्षिण तट पर एक हाथीदांत-सफेद संगमरमर का मकबरा है। इसे 1632 में मुगल सम्राट शाहजहां (1628 से 1658 तक शासन किया गया) द्वारा अपनी पसंदीदा पत्नी मुमताज महल की मकबरे के लिए शुरू किया गया था। मकबरा 17-हेक्टेयर (42 एकड़) परिसर का केंद्रबिंदु है, जिसमें एक मस्जिद और एक गेस्ट हाउस शामिल है, और इसे तीन तरफ एक अनियंत्रित दीवार से घिरा औपचारिक उद्यान में स्थापित किया गया है।
सम्राट शाहजहाँ की पसंदीदा पत्नी मुमताज महल के नाम पर, इस सबसे खूबसूरत मकबरे का निर्माण 1631 में उनकी मृत्यु के बाद शुरू हुआ था और इसे पूरा करने में 1648 तक 20,000 कामगार लगे थे। »Join Telegram Channel«
प्रवेश द्वार के चारों ओर मेहराब, मीनार, एक प्याज के आकार का गुंबद, और काले सुलेख सहित इस्लामी डिजाइन के कई तत्वों को शामिल करते हुए, ताजमहल बड़े पैमाने पर सफेद संगमरमर से बना है जो नाजुक जड़े हुए फूलों के पैटर्न और जेड जैसे कीमती और अर्ध-कीमती पत्थरों से सजाया गया है।
ताजमहल को 1983 में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल के रूप में नामित किया गया था, “भारत में मुस्लिम कला का गहना और दुनिया की विरासत (Top 15 Tourist Places) की सार्वभौमिक प्रशंसनीय कृतियों में से एक”। इसे कई लोगों ने मुगल वास्तुकला का सर्वोत्तम उदाहरण और भारत के समृद्ध इतिहास का प्रतीक माना है। ताजमहल सालाना 7-8 मिलियन आगंतुकों को आकर्षित करता है। 2007 में, इसे विश्व के नए 7 आश्चर्य (2000-2007) पहल का विजेता घोषित किया गया था।
कैसे पहुंचें:
बाय एयर
ताजमहल से खेरिया हवाई अड्डे तक यात्रा करने में 12 मिनट लगते हैं। ताजमहल और खेरिया हवाई अड्डे के बीच लगभग ड्राइविंग दूरी 10 किमी है.
ट्रेन द्वारा
आगरा को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली ट्रेनों का एक अच्छा नेटवर्क है। आगरा छावनी के मुख्य रेलवे स्टेशन के अलावा, राजा-की-मंडी और आगरा किले के अन्य दो स्टेशन भी हैं। दिल्ली के साथ आगरा को जोड़ने वाली मुख्य ट्रेनें पैलेस ऑन व्हील्स, शताब्दी, राजधानी और ताज एक्सप्रेस हैं।
सड़क के द्वारा
आगरा से कई महत्वपूर्ण शहरों में नियमित बस सेवाएं हैं। इदगाह और आईएसबीटी बस स्टैंड से दिल्ली, जयपुर, मथुरा, फतेहपुर-सीकरी आदि के लिए कई बसें चल रही हैं, यदि आप दिल्ली से आगरा आ रहे हैं। आप टैक्सी किराये पर कर सकते हैं.
पता: 64 ताज रोड, आगरा-282001
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The Holy City of Varanasi
Top 15 Tourist Places – 2.The Holy City of Varanasi -: वाराणसी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रसिद्ध नगर है। इसे ‘बनारस’ और ‘काशी’ भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में एक पवित्र नगर माना गया है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी यह एक महत्वपूर्ण शहर है। यह संसार के प्राचीन बसे शहरों में से एक है।
काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। (Top 15 Tourist Places) ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। »Join Telegram Channel«
भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था।
वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। (Top 15 Tourist Places) वाराणसी को प्रायः ‘मंदिरों का शहर’, ‘भारत की धार्मिक राजधानी’, ‘भगवान शिव की नगरी’, ‘दीपों का शहर’, ‘ज्ञान नगरी’ आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है।
प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: “बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।
हिंदुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल, पवित्र शहर वाराणसी लंबे समय से शक्तिशाली गंगा नदी से जुड़ा हुआ है, (Top 15 Tourist Places) जो आस्था के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक प्रतीकों में से एक है। 1917 में स्थापित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय देखने लायक भी है और एक लाख से अधिक पुस्तकों के साथ अपने विशाल पुस्तकालय के लिए विख्यात है, और शानदार भारत कला भवन संग्रहालय में लघु चित्रों, मूर्तियों, ताड़ के पत्ते की पांडुलिपियों और स्थानीय इतिहास के बेहतरीन संग्रह हैं।
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Harmandir Sahib: The Golden Temple of Amritsar
Top 15 Tourist Places – 3.Harmandir Sahib: The Golden Temple of Amritsar -:राम दास द्वारा 1577 में स्थापित, अमृतसर सिख इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां का मुख्य आकर्षण हरमंदिर साहिब है, जिसे 1604 में खोला गया था और अभी भी इसकी खूबसूरत सोने की सजावट के लिए इसे अक्सर स्वर्ण मंदिर के रूप में जाना जाता है।
श्री हरिमन्दिर साहिब सिख धर्मावलंबियों का सबसे पावन धार्मिक स्थल या सबसे प्रमुख गुरुद्वारा है जिसे दरबार साहिब या स्वर्ण मन्दिर भी कहा जाता है। यह भारत के राज्य पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है और यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण है। पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है। (Top 15 Tourist Places) स्वर्ण मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। अमृतसर का नाम वास्तव में उस सरोवर के नाम पर रखा गया है जिसका निर्माण गुरु राम दास ने स्वयं अपने हाथों से किया था।
यह गुरुद्वारा इसी सरोवर के बीचोबीच स्थित है। इस गुरुद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने का बना हुआ है, इसलिए इसे ‘स्वर्ण मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। सिखों के चौथे गुरू रामदास जी ने इसकी नींव रखी थी। कुछ स्रोतों में यह कहा गया है कि गुरुजी ने लाहौर के एक सूफी सन्त मियां मीर से दिसम्बर, 1588 में इस गुरुद्वारे की नींव रखवाई थी।
स्वर्ण मंदिर को कई बार नष्ट किया जा चुका है। लेकिन भक्ति और आस्था के कारण सिक्खों ने इसे दोबारा बना दिया। इसे दोबारा १७वीं सदी में भी महाराज सरदार जस्सा सिंह अहलुवालिया द्वारा बनाया गया था। जितनी बार भी यह नष्ट किया गया है और जितनी बार भी यह बनाया गया है उसकी हर घटना को मंदिर में दर्शाया गया है। (Top 15 Tourist Places) अफगा़न हमलावरों ने १९वीं शताब्दी में इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया था। तब महाराजा रणजीत सिंह ने इसे दोबारा बनवाया था और इसे सोने की परत से सजाया था।
सन 1984 में हिन्दुस्थान के टुकड़े करने की मंशा रखने वाले एवं सैकड़ों निर्दोष हिन्दू-सिखों के हत्यारे आतंकी भिंडरावाले ने भी आस्था के केंद्र हरमिंदर साहिब पर कब्जा कर लिया था और इसे अपने ठिकाने के रूप में प्रयोग किया। शुरुआत में आस्था का सम्मान करते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने अंदर घुसने से परहेज किया लेकिन 10 दिन तक चले इस संघर्ष में अंततः सेना को अंदर घुसकर ही इस आतंकी को खत्म करना पड़ा।
आतंकी भिंडरावाले और उसके साथियों के पास से पाकिस्तान निर्मित सैकड़ों भारी हथियार जब्त किए गए। 2017 में प्रस्तावित ‘शहीद गैलरी’ में ‘AGPC’ ने भिंडरावाले को एक शहीद के रूप में पहचान देकर सबको चौंका दिया और भारत की अखंडता को ठेस पहुँचायी और सभी धर्मों के राष्ट्रवादी लोगो को उनके इस निर्णय से धक्का लगा।
लगभग 400 साल पुराने इस गुरुद्वारे का नक्शा खुद गुरु अर्जुन देव जी ने तैयार किया था। यह गुरुद्वारा शिल्प सौंदर्य की अनूठी मिसाल है। इसकी नक्काशी और बाहरी सुंदरता देखते ही बनती है। गुरुद्वारे के चारों ओर दरवाजे हैं, जो चारों दिशाओं (पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण) में खुलते हैं। उस समय भी समाज चार जातियों में विभाजित था और कई जातियों के लोगों को अनेक मंदिरों आदि में जाने की इजाजत नहीं थी, लेकिन इस गुरुद्वारे के यह चारों दरवाजे उन चारों जातियों को यहां आने के लिए आमंत्रित करते थे। यहां हर धर्म के अनुयायी का स्वागत किया जाता है।
श्री हरिमन्दिर साहिब परिसर में दो बड़े और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हैं। ये सारे तीर्थस्थल जलाशय के चारों तरफ फैले हुए हैं। (Top 15 Tourist Places) इस जलाशय को अमृतसर, अमृत सरोवर और अमृत झील के नाम से जाना जाता है। पूरा स्वर्ण मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है और इसकी दीवारों पर सोने की पत्तियों से नक्काशी की गई है। हरिमन्दिर साहिब में पूरे दिन गुरबाणी (गुरुवाणी) की स्वर लहरियां गूंजती रहती हैं। सिक्ख गुरु को ईश्वर तुल्य मानते हैं।
स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने से पहले वह मंदिर के सामने सर झुकाते हैं, फिर पैर धोने के बाद सीढ़ियों से मुख्य मंदिर तक जाते हैं। सीढ़ियों के साथ-साथ स्वर्ण मंदिर से जुड़ी हुई सारी घटनाएं और इसका पूरा इतिहास लिखा हुआ है। स्वर्ण मंदिर एक बहुत ही खूबसूरत इमारत है। इसमें रोशनी की सुन्दर व्यवस्था की गई है। मंदिर परिसर में पत्थर का एक स्मारक भी है जो, जांबाज सिक्ख सैनिकों को श्रद्धाजंलि देने के लिए लगाया गया है।
स्वर्ण मंदिर सरोवर के बीच में मानव निर्मित द्वीप पर बना हुआ है। पूरे मंदिर पर सोने की परत चढ़ाई गई है। यह मंदिर एक पुल द्वारा किनारे से जुड़ा हुआ है। झील में श्रद्धालु स्नान करते हैं। यह झील मछलियों से भरी हुई है। मंदिर से 100 मी. की दूरी पर स्वर्ण जड़ित, अकाल तख्त है। इसमें एक भूमिगत तल है और पांच अन्य तल हैं। (Top 15 Tourist Places) इसमें एक संग्रहालय और सभागार है। यहाँ पर सरबत खालसा की बैठकें होती हैं। सिक्ख पंथ से जुड़ी हर मसले या समस्या का समाधान इसी सभागार में किया जाता है।
स्वर्ण मंदिर परिसर में स्थित सभी पवित्र स्थलों की पूजा स्वरूप भक्तगण अमृतसर के चारों तरफ बने गलियारे की परिक्रमा करते हैं। इसके बाद वे अकाल तख्त के दर्शन करते हैं। अकाल तख्त के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु पंक्तियों में स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करते हैं।
यहाँ दुखभंजनी बेरी नामक एक स्थान भी है। गुरुद्वारे की दीवार पर अंकित किंवदंती के अनुसार कि एक बार एक पिता ने अपनी बेटी का विवाह कोढ़ ग्रस्त व्यक्ति से कर दिया। उस लड़की को यह विश्वास था कि हर व्यक्ति के समान वह कोढ़ी व्यक्ति भी ईश्वर की दया पर जीवित है। वही उसे खाने के लिए सब कुछ देता है। एक बार वह लड़की शादी के बाद अपने पति को इसी तालाब के किनारे बैठाकर गांव में भोजन की तलाश के लिए निकल गई। तभी वहाँ अचानक एक कौवा आया, उसने तालाब में डुबकी लगाई और हंस बनकर बाहर निकला। ऐसा देखकर कोढ़ग्रस्त व्यक्ति बहुत हैरान हुआ।
उसने भी सोचा कि अगर में भी इस तालाब में चला जाऊं, तो कोढ़ से निजात मिल जाएगी। उसने तालाब में छलांग लगा दी और बाहर आने पर उसने देखा कि उसका कोढ़ नष्ट हो गया। यह वही सरोवर है, जिसमें आज हर मंदिर साहिब स्थित है। तब यह छोटा सा तालाब था, जिसके चारों ओर बेरी के पेड़ थे। तालाब का आकार तो अब पहले से काफी बड़ा हो गया है, तो भी उसके एक किनारे पर आज भी बेरी का पेड़ है। यह स्थान बहुत पावन माना जाता है। यहां भी श्रद्धालु माथा टेकते हैं।
परंपरा यह है कि यहाँ वाले श्रद्धालुजन सरोवर में स्नान करने के बाद ही गुरुद्वारे में मत्था टेकने जाते हैं। जहां तक इस विशाल सरोवर की साफ-सफाई की बात है, तो इसके लिए कोई विशेष दिन निश्चित नहीं है। लेकिन इसका पानी लगभग रोज ही बदला जाता है। इसके लिए वहां फिल्टरों की व्यवस्था है। इसके अलावा पांच से दस साल के अंतराल में सरोवर की पूरी तरह से सफाई की जाती है। इसी दौरान सरोवर की मरम्मत भी होती है। इस काम में एक हफ्ता या उससे भी ज्यादा समय लग जाता है। यह काम यानी कारसेवा (कार्य सेवा) मुख्यत: सेवादार करते हैं, पर उनके अलावा आम लोग भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है।
गुरुद्वारे के बाहर दाईं ओर अकाल तख्त है। अकाल तख्त का निर्माण सन 1606 में किया गया था। यहाँ दरबार साहिब स्थित है। उस समय यहाँ कई अहम फैसले लिए जाते थे। संगमरमर से बनी यह इमारत देखने योग्य है।
पता: स्वर्ण मंदिर रोड, अमृतसर, पंजाब 143006
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The Golden City: Jaisalmer
Top 15 Tourist Places – 4.The Golden City Jaisalmer -: जैसलमेर का गोल्डन सिटी अपनी अधिकांश इमारतों में इस्तेमाल किए गए पीले बलुआ पत्थर के लिए नामित, शानदार पुरानी वास्तुकला का एक नखलिस्तान है जो थार रेगिस्तान के रेत के टीलों से निकलता है। अपनी अनूठी सभ्यता, संस्कृति, महलों सांस्कृतिक धरोहरों और अपनी राजपुताना शान के चलते हमेशा ही राजस्थान की भूमि ने पर्यटन के उत्साही लोगों को अपनी तरफ आकर्षित किया है। राजस्थान, एक अविश्वसनीय रूप से सुंदर राज्य भारत के उत्तर पश्चिम में मौजूद है जो अपने आप में कालातीत आश्चर्य का जीवंत उदहारण है, अगर व्यक्ति पर्यटन का शौक़ीन हैं तो उसे इस राज्य की यात्रा अवश्य करनी चहिये।
यूं तो इस राज्य में कई खूबसूरत शहर हैं मगर जैसलमेर की बात किये बिना इस राज्य का वर्णन अधूरा है। जैसलमेर,’गोल्डन सिटी’, राजस्थान के शाही महलों और लड़ने वाले ऊंटों के साथ एक रेतीले रेगिस्तान के आकर्षण का प्रतीक है। यह विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल महान थार रेगिस्तान के बीच में स्थित है। यह सुनहरा शहर राजस्थानी लोक संगीत और नृत्य रूपों, जिन्हे वैश्विक मंच पर अत्याधिक सराहा जाता है, के लिए प्रसिद्ध है। »Join Telegram Channel«
जैसलमेर किला जैसलमेर किले को जैसलमेर की शान के रूप में माना जाता है और यह शहर के केन्द्र में स्थित है। यह ‘सोनार किला’ या ‘स्वर्ण किले’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह पीले बलुआ पत्थर का किला सूर्यास्त के समय सोने की तरह चमकता है। इसे 1156 ईस्वी में एक भाटी राजपूत शासक जैसल द्वारा त्रिकुरा पहाड़ी के शीर्ष पर निर्मित किया गया था।
जैसलमेर किले में कई खूबसूरत हवेलियाँ या मकान, मंदिर और सैनिकों तथा व्यापारियों के आवासीय परिसर हैं। यह किला एक 30 फुट ऊंची दीवार से घिरा हुआ है। यह एक विशाल 99 बुर्जों वाला किला है। वर्तमान में, यह शहर की आबादी के एक चौथाई के लिए एक आवासीय स्थान है। (Top 15 Tourist Places) किला परिसर में कई कुयें हैं जो यहाँ के निवासियों के लिए पानी का नियमित स्रोत हैं। किला राजपूत और मुगल स्थापत्य शैली का आदर्श संलयन दर्शाता है।
बड़ा बाग बड़ा बाग एक विशाल पार्क अपने शाही स्मारकों या छतरियों के लिए प्रसिद्ध है जिसे विभिन्न भट्टी शासकों द्वारा निर्मित किया गया। सब के बीच, राजा महारावल जैत सिंह की कब्र सबसे प्राचीन स्मारक है। यह जगह जैसलमेर शहर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पार्क के अंदर स्मारकों के अलावा, पर्यटक जैतसार टंकी, जैत बांध और एक गोवर्धन स्तंभ को भी देख सकते हैं। बांध और टंकी दोनों के निर्माण में पत्थरों के ठोस टुकड़ों का इस्तेमाल किया गया था। जैसलमेर शहर से रिक्शा और टैक्सी से पर्यटक इस पर्यटक स्थल तक पहुँच सकते हैं।
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The Red Fort, New Delhi
Top 15 Tourist Places – 5.The Red Fort, New Delhi -: लाल किला, दिल्ली के ऐतिहासिक, क़िलेबंद, पुरानी दिल्ली के इलाके में स्थित, लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है। यद्धपि यह किला काफी पुराना है और इस किले को पाँचवे मुग़ल शासक शाहजहाँ ने अपनी राजधानी के रूप में चुना था। इस किले को “लाल किला”, इसकी दीवारों के लाल-लाल रंग के कारण कहा जाता है। इस ऐतिहासिक किले को वर्ष 2007 में युनेस्को द्वारा एक विश्व धरोहर स्थल चयनित किया गया था।
भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित लाल किला (Lal Kila) देश की आन-बान शान और देश की आजादी का प्रतीक है। मुगल काल में बना यह ऐतिहासक स्मारक विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल है और भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। लाल किला के सौंदर्य, भव्यता और आर्कषण को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं और इसकी शाही बनावट और अनूठी वास्तुकला की प्रशंसा करते हैं।
यह शाही किला मुगल बादशाहों का न सिर्फ राजनीतिक केन्द्र है बल्कि यह औपचारिक केन्द्र भी हुआ करता था, जिस पर करीब 200 सालों तक मुगल वंश के शासकों का राज रहा। देश की जंग-ए-आजादी का गवाह रहा लाल किला मुगलकालीन वास्तुकला, सृजनात्मकता और सौंदर्य का अनुपम और अनूठा उदाहरण है।
1648 ईसवी में बने इस भव्य किले के अंदर एक बेहद सुंदर संग्रहालय भी बना हुआ है। करीब 250 एकड़ जमीन में फैला यह भव्य किला मुगल राजशाही और ब्रिटिशर्स के खिलाफ गहरे संघर्ष की दास्तान बयां करता हैं। वहीं भारत का राष्ट्रीय गौरव माने जाना वाला इस किले का इतिहास बेहद दिलचस्प है। »Join Telegram Channel«
राजधानी दिल्ली में स्थित भारतीय और मुगल वास्तुशैली से बने इस भव्य ऐतिहासिक कलाकृति का निर्माण पांचवे मुगल शासक शाहजहां ने करवाया था। यह शानदार किला दिल्ली के केन्द्र में यमुना नदी के तट पर स्थित है, जो कि तीनों तरफ से यमुना नदीं से घिरा हुआ है, जिसके अद्भुत सौंदर्य और आर्कषण को देखते ही बनता है।
विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल दुनिया के इस सर्वश्रेष्ठ किले के निर्माण काम की शुरुआत मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा 1638 ईसवी में करवाई गई थी। भारत के इस भव्य लाल किले का निर्माण काम 1648 ईसवी तक करीब 10 साल तक चला।
मुगल बादशाह शाहजहां के द्वारा बनवाई गई सभी इमारतों का अपना-अपना अलग-अलग ऐतिहासिक महत्व है। जबकि उनके द्धारा बनवाया गया ताजमहल को उसके सौंदर्य और आर्कषण की वजह से जिस तरह दुनिया के सात अजूबों में शुमार किया गया है, उसी तरह दिल्ली के लाल किला को विश्व भर में शोहरत मिली है। इस भव्य ऐतिहासिक किले के प्रति लोगों की सच्ची श्रद्धा और सम्मान है।
आपको बता दें कि शाहजहां, इस किले को उनके द्वारा बनवाए गए सभी किलों में बेहद आर्कषक और सुंदर बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने 1638 ईस्वी में ही अपनी राजधानी आगरा को दिल्ली शिफ्ट कर लिया था, और फिर तल्लीनता से इस किले के निर्माण में ध्यान देकर इसे भव्य और आर्कषक रुप दिया था।
मुगल सम्राट शाहजहां ने आगरा में स्थित ताजमहल को भव्य रुप देने वाले डिजाइनर और मुगल काल के प्रसिद्ध वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी को इस किले की शाही डिजाइन बनाने के लिए चुना था। वहीं उस्ताद अहमद अपने नाम की तरह ही अपनी कल्पना शक्ति से शानदार इमारत बनाने में उस्ताद थे, उन्होंने लाल किला को बनवाने में भी अपनी पूरी विवेकशीलता और कल्पनाशीलता का इस्तेमाल कर इसे अति सुंदर और भव्य रुप दिया था। (Top 15 Tourist Places) यही वजह है कि लाल किले के निर्माण के इतने सालों के बाद आज भी इस किले की विशालता और खूबसूरती के लिए विश्व भऱ में जाना जाता है।
इस भव्य किला बनने की वजह से भारत की राजधानी दिल्ली को शाहजहांनाबाद कहा जाता था, साथ ही यह शाहजहां के शासनकाल की रचनात्मकता का मिसाल माना जाता था। मुगल सम्राट शाहजहां के बाद उसके बेटे औरंगजेब ने इस किले में मोती-मस्जिद (Moti Masjid) का भी निर्माण करवाया था।
वहीं 17वीं शताब्दी पर जब लाल किले पर मुगल बादशाह जहंदर शाह का कब्जा हो गया था, तब करीब 30 साल तक लाल किले बिना शासक का रहा था। इसके बाद नादिर शाह ने लाल किले पर अपना शासन चलाया, ईसके बाद 18वीं सदी में अंग्रेजों ने लाल किले पर अपना कब्जा जमा लिया और इसे किले में जमकर लूट-पाट की। भारत की आजादी के बाद सबसे पहले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस पर तिरंगा फहराकर देश के नाम संदेश दिया था।
वहीं आजादी के बाद लाल किले का इस्तेमाल सैनिक प्रशिक्षण के लिए किया जाने लगा और फिर यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रुप में मशहूर हुआ, वहीं इसके आर्कषण और भव्यता की वजह से इसे 2007 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया था और आज इसकी खूबसूरती को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग इसे देखने दिल्ली जाते हैं।
पता: नेताजी सुभाष मार्ग, चांदनी चौक, नई दिल्ली, दिल्ली 110006
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Mumbai: The Gateway of India
Top 15 Tourist Places – 6.Gateway of India -: गेटवे ऑफ़ इन्डिया (भारत का प्रवेशद्वार) भारत के मुम्बई शहर के दक्षिण में समुद्र तट पर स्थित एक स्मारक है। स्मारक को दिसंबर 1911 में अपोलो बंडर, मुंबई (तब बॉम्बे) में ब्रिटिश सम्राट राजा-सम्राट जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी के प्रथम आगमन की याद में बनाया गया था। शाही यात्रा के समय, प्रवेशद्वार का निर्माण नहीं हुआ था, और सम्राट को एक कार्डबोर्ड संरचना के द्वारा बधाई दी गयी थी। »Join Telegram Channel«
16 वीं शताब्दी के गुजराती वास्तुकला के तत्वों को शामिल करते हुए, इंडो-सारासेनिक शैली में निर्मित इस स्मारक की आधारशिला मार्च 1913 में रखी गई थी। वास्तुकार जॉर्ज विटेट द्वारा स्मारक का अंतिम डिजाइन 1914 में स्वीकृत किया गया था, और इसका निर्माण 1924 में पूरा हुआ था। 26 मीटर (85 फीट) ऊँची इस संरचना का निर्माण असिताश्म (बेसाल्ट) से किया गया है और यह एक विजय की प्रतीक मेहराब है। (Top 15 Tourist Places) इस प्रवेशद्वार के पास ही पर्यटकों के समुद्र भ्रमण हेतु नौका-सेवा भी उपल्ब्ध है।
हॉट टिप: गेटवे ऑफ इंडिया पर जाने के बाद, एक मनोरम हाई टी के लिए आसन्न ताजमहल पैलेस और टॉवर पर जाएं, मुंबई में एक मजेदार चीज है क्योंकि यह सुंदर लक्जरी होटल 1903 में खोला गया था।
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Mecca Masjid, Hyderabad
Top 15 Tourist Places – 7.Mecca Masjid History -: हैदराबाद की मक्का मस्जिद का निर्माण, दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक और भारत की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक, 1614 में मोहम्मद कुली कुतुब शाह के शासनकाल के दौरान शुरू हुई और इसे पूरा होने में लगभग 80 साल लगे। 10,000 उपासकों को समायोजित करने के लिए पर्याप्त, इस खूबसूरत मस्जिद के 15 विशाल मेहराब और स्तंभ प्रत्येक को काले ग्रेनाइट के एकल स्लैब से गढ़ा गया था, जिसे विशाल मवेशी गाड़ियों द्वारा साइट पर घसीटा गया था, जिसमें प्रतिष्ठित रूप से 1,400 बैल शामिल थे।
मस्जिद का मुख्य हॉल 75 फीट ऊंचा, 220 फीट चौड़ा और 180 फीट लंबा है, जो एक समय में 10,000 उपासकों को समायोजित करने के लिए पर्याप्त है। (Top 15 Tourist Places) पंद्रह आर्च मुख्य हॉल की छत को संभालने के लिए लगे हैं, तीनों तरफ पांच पांच हैं। चौथी तरफ एक दीवार बनाई गई मिहराब के लिए।
मस्जिद के किनारे मीनारों की चोटी पर एक कमानों की गैलरी है, और उसके ऊपर एक छोटा गुंबद और एक शिखर है। कुरान की आयतों से सजे शिलालेख कई मेहराबों और दरवाजों पर सजे नज़र आते हैं। मस्जिद की मुख्य संरचना ग्रेनाइट पत्थर हैं, जो दो बड़े अष्टकोणीय स्तंभों के बीच में लगाई गई हैं। पूरे मस्जिद की संरचना के चारों ओर मेहराबों पर पुष्प आकृतियां और क़ुतुब शाही वास्तुकला विस्तार से छलकती है। पर्यटकों को यह ध्यान और याद दिलाती हैं की यह वास्तुकला चारमीनार और गोलकोंडा किले में मेहराबों जैसी ही है। »Join Telegram Channel«
मुख्य मस्जिद पर छत के चार किनारों पर, बालकनियों पर उलटे कप के आकार में ग्रेनाइट से बने छोटे गुम्बद बनाये गए हैं। मस्जिद के मीनार निज़ाम के क़ब्र के पास के मीनारों से ऊंचे नहीं हैं। अष्टकोणीय स्तंभों पर बलकनियाँ बनी हैं जो छत से मिलती हैं, जिसके ऊपर कॉलम की ओर बढ़ता है और शिखर पर एक गुम्बद सजाया गया है।
मस्जिद का प्रवेश द्वार बहुत सुन्दर है, रचेस से बने इस इमारत में असफ़ जाही शासकों की संगमरमर की कब्रें हैं। यह संरचना असफ जाह शासकों के शासन के दौरान आई थी। इसमें निज़ाम और उनके परिवार के कब्र शामिल हैं।
पता: हैदराबाद, तेलंगाना 500002
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Amer Fort, Jaipur
Top 15 Tourist Places – 8.Amer Fort History -: आमेर किला (अक्सर “अंबर” भी लिखा जाता है) महाराजा मान सिंह प्रथम द्वारा 1592 में एक गढ़वाले महल के रूप में बनाया गया था और लंबे समय तक जयपुर की राजधानी भी रहा। पहाड़ी की ऊंचाई पर नक्काशीदार, किला एक खड़ी चढ़ाई के माध्यम से या नीचे शहर से शटल सवारी द्वारा पैदल पहुँचा जा सकता है।
जलेब चौक, पहला प्रांगण, जिसमें कई सजे हुए हाथी हैं, और शिला देवी मंदिर, जो युद्ध की देवी को समर्पित है। इसके अलावा ध्यान देने योग्य सार्वजनिक श्रोताओं का हॉल (दीवान-ए-आम) है, जिसकी दीवारों और छतों को बारीकी से सजाया गया है, जहां बंदरों का आना-जाना लगा रहता है।
अन्य हाइलाइट्स में सुख निवास (खुशी का हॉल) शामिल है, जिसमें कई फूल और एक चैनल है जो कभी ठंडा पानी ले जाता था, और विजय का मंदिर (जय मंदिर), अपने कई सजावटी पैनलों, रंगीन छत और उत्कृष्ट दृश्यों के लिए उल्लेखनीय है। महल और नीचे झील।आमेर किले के ठीक ऊपर जयगढ़ किला है, जिसे जय सिंह द्वारा 1726 में बनवाया गया था और इसमें ऊंचे दिखने वाले टावर, दुर्जेय दीवारें और दुनिया की सबसे बड़ी पहिए वाली तोप है।
आम्बेर का किला अपने शीश महल के कारण भी प्रसिद्ध है। इसकी भीतरी दीवारों, गुम्बदों और छतों पर शीशे के टुकड़े इस प्रकार जड़े गए हैं कि केवल कुछ मोमबत्तियाँ जलाते ही शीशों का प्रतिबिम्ब पूरे कमरे को प्रकाश से जगमग कर देता है। सुख महल व किले के बाहर झील बाग का स्थापत्य अपूर्व है। »Join Telegram Channel«
भक्ति और इतिहास के पावन संगम के रूप में स्थित आमेर नगरी अपने विशाल प्रासादों व उन पर की गई स्थापत्य कला की आकर्षक पच्चीकारी के कारण पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। पत्थर के मेहराबों की काट-छाँट देखते ही बनती है। (Top 15 Tourist Places) यहाँ का विशेष आकर्षण है डोली महल, जिसका आकार उस डोली (पालकी) की तरह है, जिनमें प्राचीन काल में राजपूती महिलाएँ आया-जाया करती थीं।
इन्हीं महलों में प्रवेश द्वार के अन्दर डोली महल से पूर्व एक भूल-भूलैया है, जहाँ राजे-महाराजे अपनी रानियों और पट्टरानियों के साथ आँख-मिचौनी का खेल खेला करते थे। कहते हैं महाराजा मान सिंह की कई रानियाँ थीं और जब राजा मान सिंह युद्ध से वापस लौटकर आते थे तो यह स्थिति होती थी कि वह किस रानी को सबसे पहले मिलने जाएँ। इसलिए जब भी कोई ऐसा मौका आता था तो राजा मान सिंह इस भूल-भूलैया में इधर-उधर घूमते थे और जो रानी सबसे पहले ढूँढ़ लेती थी उसे ही प्रथम मिलन का सुख प्राप्त होता था।
यह कहावत भी प्रसिद्ध है कि अकबर और मानसिंह के बीच एक गुप्त समझौता यह था कि किसी भी युद्ध से विजयी होने पर वहाँ से प्राप्त सम्पत्ति में से भूमि और हीरे-जवाहरात बादशाह अकबर के हिस्से में आएगी तथा शेष अन्य खजाना और मुद्राएँ राजा मान सिंह की सम्मति होगी। इस प्रकार की सम्पत्ति प्राप्त करके ही राजा मान सिंह ने समृद्धशाली जयपुर राज्य का संचलन किया था। आमेर के महलों के पीछे दिखाई देता है नाहरगढ़ का ऐतिहासिक किला, जहाँ अरबों रुपए की सम्पत्ति ज़मीन में गड़ी होने की संभावना और आशंका व्यक्त की जाती है।
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The Beaches of Goa
Top 15 Tourist Places – 9.The Beaches of Goa -: गोवा में सबसे अच्छे 10 बीच को छाटना इतना आसान काम नहीं है क्योंकि गोवा के ज्यादातर बीच अपनी अलग सुंदरता और भोगोलिक आकर्षण के लिए जाने जाते है। इस लेख में हम आपको गोवा के 10 सबसे अच्छे बीच की सैर कराने वाले हैं चलिए चलते है गोवा के शीर्ष 10 समुद्र तटों की ओर और जानते हैं उनके बारे में क्या है खास।
मोरजिम बीच बर्ड वॉचिंग और यहां के लुप्तप्राय ओलिव रिडले कछुए के घोंसले का घर है। यदि आप ओलिव रिडले कछुओं के संरक्षण में इंटरेस्टेड हैं तो आप इससे भी ज्यादा एकांत गलजिबाग बीच पर भी जा सकते हैं। गोवा के मोरजिम बीच में आप समुद्री रेत में मस्ती भी कर सकते हैं। इस समुद्र तट के बार और शेक्स (shacks) या छोटी-छोटी लकड़ी और बांस की झोपड़ियां इसे एक आकर्षक पर्यटन स्पॉट बनाते हैं और गोवा में मोरजिम बीच विदेशियों का पसंदीदा स्थल है।
बागा बीच एक पूरी तरह से अलग माहौल का अनुभव कराता है। यह गोवा के सबसे फेमस बीच में से एक है यहां आपको एकदम शांत माहौल और प्यारा वातावरण देखने को मिलेगा और इसके साथ-साथ कैफे, और सुनहरे रंग की रेत में एन्जॉय करने का अवसर भी मिलेगा। आप यहां फैमली के साथ वाटेर्स्पोर्ट्स गतिविधियों का मजा ले सकते है जैसे की जेट स्की, स्पीड बोट, बनाना राइड आदि। यह बीच अपनी नाईट लाइफ, पार्टीज के लिए फेमस है इसलिए यहां कोई भी जा सकता है। बागा बीच अपने स्वादिष्ट सी फूड, नाईट लाइफ, टीटो और मेंबोस नाइट क्लब, और मैकीज सैटरडे नाईट के लिए फेमस है। »Join Telegram Channel«
कलंगूट बीच को ‘समुद्र तटों की रानी’ और गोवा के सबसे समुद्र तटों में के रूप में जाना जाता है। ब्रिटिश पर्यटकों के लंबी छुट्टियां बिताने के लिए सबसे लोकप्रिय समुद्र तटों में कैंडोलिम और कलंगूट बीच मशहूर हैं। यहां के रिसॉर्ट्स में बहुत ही अनुकूल वातावरण है, और यहां पर स्वादिष्ट गोआ करी पर्यटकों की फेवरेट है। (Top 15 Tourist Places) कलंगूट बीच अपनी सुनहरी झिलमिलाती रेत के लिए प्रसिद्ध है और उत्तरी गोवा का सबसे बड़ा समुद्र तट है। यह गोवा में जाने के लिए सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में से एक है।
सिंक्वेरियम बीच में सफेद रेत है और यह प्रसिद्ध अगुआदा किले के बहुत करीब है। इसके आसपास के कई शानदार होटल हैं, अगर आप किसी विशेष अवसर का जश्न को मनाना चाहते हैं तो यहां कई लग्जरी पैकेज उपलब्ध हैं। इसके अलावा सिंक्वेरियम बीच, फन एंड बीच पार्टी के लिए एक आकर्षक बीच है। इस बीच में ही कई सारे डेकोरेशन हैं, जैसे की रेत के कर्व्स, इसके अलावा पाम ट्रीज आदि इस बीच को एक परफेक्ट हॉलिडे डेस्टिनेशन बनाते है।
वागातोर बीच उत्तरी गोवा में स्थित है। यहां समुद्र की रेतीली पट्टी के पीछे लाल रंग की चट्टानों का एक नाटकीय द्रश्य देखने को मिलता है। चट्टानों के नीचे की सुनहरी रेत है। पूरा समुद्र तट भी ऊंचे ताड़ के पेड़ों से भरा पड़ा है। वागातोर को क्रेजी ट्रान्स पार्टियों के लिए जाना जाता है। वागातोर में खाने, पीने और रहने के लिए बहुत सारे विकल्प हैं और यहां बहुत ही बेसिक बैकपैकर स्थानों से लेकर पॉश रिसॉर्ट्स तक अवलेबल हैं। रेत की छोटी-छोटी क्यारियां, खाड़ी की चट्टानों और खदानों से समृद्ध हैं, और यहां के सूर्यास्त का आनंद उठाना बहुत बेहतरीन विचार है।
गोवा में रहते हुए, भगवान महावीर वन्यजीव अभयारण्य की यात्रा अवश्य करें। (Top 15 Tourist Places) यह शानदार आकर्षण घने जंगलों और बहुत सारे जीवों का घर है, जिनमें हिरण, बंदर, हाथी, तेंदुए, बाघ और ब्लैक पैंथर-साथ ही भारत के प्रसिद्ध किंग कोबरा- और पक्षियों की लगभग 200 प्रजातियां शामिल हैं। दिवार द्वीप भी देखने लायक है, जो पुराने गोवा से नौका द्वारा पहुँचा जा सकता है।
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Periyar National Park and Wildlife Sanctuary, Madurai
Top 15 Tourist Places – 10.Periyar National Park and Wildlife Sanctuary History -: दक्षिण भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक, पेरियार राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य 1895 में ब्रिटिश इंजीनियरों द्वारा सिंचाई के लिए और मदुरै शहर को पानी उपलब्ध कराने के लिए बनाई गई एक झील के आसपास केंद्रित है। 1934 में स्थापित, यह खूबसूरत पार्क स्तनधारियों की कई प्रजातियों का घर है, जिनमें एक बड़ी मुक्त घूमने वाली भारतीय हाथी आबादी, जंगली सूअर, ऊदबिलाव, शेर की पूंछ वाला मकाक और 20 से अधिक बंगाल टाइगर शामिल हैं। »Join Telegram Channel«
जिसमें तितलियों की कई दिलचस्प किस्मों के साथ-साथ पक्षियों की लगभग 265 प्रजातियों के प्रवासियों सहित पार्क में देखा जा सकता है। स्थानिकमारी वाले पक्षियों मालाबार ग्रे हॉर्नबिल, नीलगिरी लकड़ी कबूतर, ब्लू पंखों वाला तोता, नीलगिरि फ्लाईकैचर, क्रिमसन समर्थित सनबर्ड और सफेद पेट वाले ब्लू फ्लाईकैचर शामिल हैं। (Top 15 Tourist Places) अन्य पक्षियों काले Baza, स्पॉट पेट वाले ईगल उल्लू, नीलगिरि चिड़िया, लिटिल स्पाइडरहंटर, रयुफस पेट वाले हॉक ईगल, ब्राह्मिनी चील, महान हार्नबिल, श्रीलंकन Frogmouth, ओरिएंटल डार्टर और काले गर्दन वाले सारस शामिल हैं।
पार्क के शानदार पहाड़ी दृश्यों का आनंद लेने का सबसे अच्छा तरीका एक झील क्रूज या निर्देशित जंगल की सैर करना है, बाद में आगंतुकों को हाथियों के झुंड के साथ आमने-सामने आने और वॉचटावर और देखने के प्लेटफार्मों से अन्य वन्यजीवों का निरीक्षण करने का मौका मिलता है। हॉट टिप: दौरे के लिए आस-पास के कई मसालों, चाय, या कॉफी बागानों में से एक पर रुकना सुनिश्चित करें।
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Agra Fort, Agra
Top 15 Tourist Places – 11.Agra Fort History -: आगरा का किला एक यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहर स्थल है। यह किला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थित है। इसके लगभग 2.5 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में ही विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताज महल मौजूद है। इस किले को कुछ इतिहासकार चारदीवारी से घिरी प्रासाद महल नगरी कहना बेहतर मानते हैं। यह भारत का सबसे महत्वपूर्ण किला है।
भारत के मुगल सम्राट बाबर, हुमायुं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगज़ेब यहां रहा करते थे, व यहीं से पूरे भारत पर शासन किया करते थे। यहां राज्य का सर्वाधिक खजाना, सम्पत्ति व टकसाल थी। यह मूलतः एक ईंटों का किला था, जो सिकरवार वंश के राजपूतों के पास था। इसका प्रथम विवरण 1080 ई० में आता है, जब महमूद गजनवी की सेना ने इस पर कब्ज़ा किया था।
सिकंदर लोदी (1487-1517), दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था जिसने आगरा की यात्रा की तथा इसने इस किले की मरम्म्त 1504 ई० में करवायी व इस किले में रहा था। सिकंदर लोदी ने इसे 1506 ई० में राजधानी बनाया और यहीं से देश पर शासन किया। उसकी मृत्यु भी इसी किले में 1517 में हुई थी। बाद में उसके पुत्र इब्राहिम लोदी ने गद्दी नौ वर्षों तक संभाली, तब तक, जब वो पानीपत के प्रथम युद्ध (1526) में मारा नहीं गया। उसने अपने काल में यहां कई स्थान, मस्जिदें व कुएं बनवाये। »Join Telegram Channel«
पानीपत के बाद मुगलों ने इस किले पर भी कब्ज़ा कर लिया साथ ही इसकी अगाध सम्पत्ति पर भी। इस सम्पत्ति में ही एक हीरा भी था जो कि बाद में कोहिनूर हीरा के नाम से प्रसिद्ध हुआ। तब इस किले में इब्राहिम के स्थान पर बाबर आया। उसने यहां एक बावली बनवायी। सन 1530 में यहीं हुमायुं का राजतिलक भी हुआ। हुमायुं इसी वर्ष बिलग्राम में शेरशाह सूरी से हार गया व किले पर उसका कब्ज़ा हो गया। इस किले पर अफगानों का कब्ज़ा पांच वर्षों तक रहा, जिन्हें अन्ततः मुगलों ने 1556 में पानीपत का द्वितीय युद्ध में हरा दिया।
इस की केन्द्रीय स्थिति को देखते हुए, अकबर ने इसे अपनी राजधानी बनाना निश्चित किया व सन 1558 में यहां आया। (Top 15 Tourist Places) उसके इतिहासकार अबुल फजल ने लिखा है कि यह किला एक ईंटों का किला था, जिसका नाम बादलगढ़ था। यह तब खस्ता हालत में था व अकबर को इसे दोबारा बनवाना पड़ा, जो कि उसने लाल बलुआ पत्थर से निर्माण करवाया। इसकी नींव बड़े वास्तुकारों ने रखी। (Top 15 Tourist Places) इसे अंदर से ईंटों से बनवाया गया, व बाहरी आवरण हेतु लाल बलुआ पत्थर लगवाया गया। इसके निर्माण में चौदह लाख चवालीस हजार कारीगर व मजदूरों ने आठ वर्षों तक मेहनत की, तब सन 1573 में यह बन कर तैयार हुआ।
अकबर के पौत्र शाहजहां ने इस स्थल को वर्तमान रूप में पहुंचाया। यह भी मिथक हैं, कि शाहजहां ने जब अपनी प्रिय पत्नी के लिये ताजमहल बनवाया, वह प्रयासरत था, कि इमारतें श्वेत संगमर्मर की बनें, जिनमें सोने व कीमती रत्न जड़े हुए हों। उसने किले के निर्माण के समय, कई पुरानी इमारतों व भवनों को तुड़वा भी दिया, जिससे कि किले में उसकी बनवायी इमारतें हों।
अपने जीवन के अंतिम दिनों में, शाहजहां को उसके पुत्र औरंगज़ेब ने इस ही किले में बंदी बना दिया था, एक ऐसी सजा, जो कि किले के महलों की विलासिता को देखते हुए, उतनी कड़ी नहीं थी। यह भी कहा जाता है, कि शाहजहां की मृत्यु किले के मुसम्मन बुर्ज में, ताजमहल को देखेते हुए हुई थी। इस बुर्ज के संगमर्मर के झरोखों से ताजमहल का बहुत ही सुंदर दृश्य दिखता है।
यह किला 1857 का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय युद्ध स्थली भि बना। जिसके बाद भारत से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का राज्य समाप्त हुआ, व एक लगभग शताब्दी तक ब्रिटेन का सीधे शासन चला। जिसके बाद सीधे स्वतंत्रता ही मिली।
पता: रकाबगंज, आगरा, उत्तर प्रदेश 282003
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The Ellora Caves, Aurangabad
Top 15 Tourist Places – 12.The Ellora Caves History -: वेरुळ या एलोरा (मूल नाम वेरुळ) एक पुरातात्विक स्थल है, जो भारत में औरंगाबाद, महाराष्ट्र से 30 कि॰मि॰ (18.6 मील) की दूरी पर स्थित है। इन्हें राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया वेरुळ। अपनी स्मारक गुफाओं के लिए प्रसिद्ध, वेरुळ युनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व धरोहर स्थल है।
वेरुळ भारतीय पाषाण शिल्प स्थापत्य कला का सार है, यहाँ 34 “गुफ़ाएँ” हैं जो असल में एक ऊर्ध्वाधर खड़ी चरणाद्रि पर्वत का एक फ़लक है। इसमें हिन्दू बौद्ध और जैन गुफा मन्दिर बने हैं। ये पाँचवीं और दसवीं शताब्दी में बने थे। यहाँ 12 बौद्ध गुफाएँ, 17 हिन्दू गुफाएँ और 5 जैन गुफाएँ हैं। ये सभी आस-पास बनीं हैं और अपने निर्माण काल की धार्मिक सौहार्द को दर्शाती हैं।
वेरुळ के 34 मठ और मंदिर औरंगाबाद के निकट 2 किमी के क्षेत्र में फैले हैं, इन्हें ऊँची बेसाल्ट की खड़ी चट्टानों की दीवारों को काट कर बनाया गया हैं। (Top 15 Tourist Places) 154 फीट चौड़ा यह मंदिर केवल एक खंड को काटकर बनाया गया है। इसका निर्माण ऊपर से नीचे की ओर किया गया है। इसके निर्माण के क्रम में अनुमानत: 40 हज़ार टन भार के पत्थरों को ताला से बचाया गया है। इसके निर्माण के लिए पहले खंड अलग किया गया और फिर इस पर्वत खंड को भीतर से काट – काट कर 90 फुट ऊँचा मंदिर गंगा गया। मंदिर के बाहर चारों ओर मर्ति – अलंकरणों से भरा हआ है।
दुर्गम पहाड़ियों वाला एलोरा 600 से 1000 ईसवी के काल का है, यह प्राचीन भारतीय सभ्यता का जीवन्त प्रदर्शन करता है। बौद्ध, हिन्दू और जैन धर्म को भी समर्पित पवित्र स्थान एलोरा परिसर न केवल अद्वितीय कलात्मक सृजन और एक तकनीकी उत्कृष्टता है, बल्कि यह प्राचीन भारत के धैर्यवान चरित्र की व्याख्या भी करता है। यह यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल है।
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Mehrangarh Fort, Jodhpur
Top 15 Tourist Places – 13.Mehrangarh Fort History -: मेहरानगढ दुर्ग भारत के राजस्थान प्रांत में जोधपुर शहर में स्थित है। पन्द्रहवी शताब्दी का यह विशालकाय किला, पथरीली चट्टान पहाड़ी पर, मैदान से 125 मीटर ऊँचाई पर स्थित है और आठ द्वारों व अनगिनत बुर्जों से युक्त दस किलोमीटर लंबी ऊँची दीवार से घिरा है। बाहर से अदृश्य, घुमावदार सड़कों से जुड़े इस किले के चार द्वार हैं। किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार किवाड़, जालीदार खिड़कियाँ और प्रेरित करने वाले नाम हैं। इनमें से उल्लेखनीय हैं मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना, दौलत खाना आदि।
इन महलों में भारतीय राजवेशों के साज सामान का विस्मयकारी संग्रह निहित है। इसके अतिरिक्त पालकियाँ, हाथियों के हौदे, विभिन्न शैलियों के लघु चित्रों, संगीत वाद्य, पोशाकों व फर्नीचर का आश्चर्यजनक संग्रह भी है। »Join Telegram Channel«
यह किला भारत के प्राचीनतम किलों में से एक है और भारत के समृद्धशाली अतीत का प्रतीक है। राव जोधा जोधपुर के राजा रणमल की २४ संतानों मे से एक थे। वे जोधपुर के पंद्रहवें शासक बने। शासन की बागडोर सम्भालने के एक साल बाद राव जोधा को लगने लगा कि मंडोर का किला असुरक्षित है। उन्होने अपने तत्कालीन किले से ९ किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर नया किला बनाने का विचार प्रस्तुत किया। इस पहाड़ी को भोर चिड़ियाटूंंक के नाम से जाना जाता था, क्योंकि वहाँ काफ़ी पक्षी रहते थे। राव जोधा ने 12 मई 1459 ई. को इस पहाडी पर किले की नीव डाली थी।
महाराज जसवंत सिंह (1638-78) ने इसे पूरा किया। मूल रूप से किले के सात द्वार (पोल) (आठवाँ द्वार गुप्त है) हैं। प्रथम द्वार पर हाथियों के हमले से बचाव के लिए नुकीली कीलें लगी हैं। अन्य द्वारों में शामिल जयपोल द्वार का निर्माण 1806 में महाराज मान सिंह ने अपनी जयपुर और बीकानेर पर विजय प्राप्ति के बाद करवाया था। फतेह पोल अथवा विजय द्वार का निर्माण महाराज अजीत सिंह ने मुगलों पर अपनी विजय की स्मृति में करवाया था।
राव जोधा को चामुँडा माता मे अथाह श्रद्धा थी। चामुंडा जोधपुर के शासकों की कुलदेवी होती है। राव जोधा ने 1460 मे मेहरानगढ किले के समीप चामुंडा माता का मंदिर बनवाया और मूर्ति की स्थापना की। मंदिर के द्वार आम जनता के लिए भी खोले गए थे। (Top 15 Tourist Places) चामुंडा माँ मात्र शासकों की ही नहीं बल्कि अधिसंख्य जोधपुर निवासियों की कुलदेवी थी और आज भी लाखों लोग इस देवी को पूजते हैं। नवरात्रि के दिनों मे यहाँ विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
मेहरानगढ दुर्ग की नींव में ज्योतिषी गणपत दत्त के ज्योतिषीय परामर्श पर ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (तदनुसार, 12 मई 1459 ई) वार शनिवार को राजाराम मेघवाल को जीवित ही गाड़ दिया गया। राजाराम के सहर्ष किये हुए आत्म त्याग एवम स्वामी-भक्ति की एवज में राव जोधाजी राठोड़ ने उनके वंशजो को मेहरानगढ दुर्ग के पास सूरसागर में कुछ भूमि भी दी ( पट्टा सहित ), जो आज भी राजबाग के नाम से प्रसिद्ध हैं। होली के त्यौहार पर मेघवालों की गेर को किले में गाजे बाजे के साथ जाने का अधिकार हैं जो अन्य किसी जाति को नही है। राजाराम का जन्म कड़ेला गौत्र में केसर देवी की कोख से हुआ तथा पिता का नाम मोहणसी था।
पता: फोर्ट रोड, जोधपुर, राजस्थान 342006
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Mysore Palace
Top 15 Tourist Places – 14.Mysore Palace History -: राजमहल मैसूर के कृष्णराजा वाडियार चतुर्थ का है। यह पैलेस बाद में बनवाया गया। इससे पहले का राजमहल चन्दन की लकड़ियों से बना था। एक दुर्घटना में इस राजमहल की बहुत क्षति हुई जिसके बाद यह दूसरा महल बनवाया गया। पुराने महल को बाद में ठीक किया गया जहाँ अब संग्रहालय है। दूसरा महल पहले से ज्यादा बड़ा और अच्छा है।
मैसूर पैलेस दविड़, पूर्वी और रोमन स्थापत्य कला का अद्भुत संगम है। नफासत से घिसे सलेटी पत्थरों से बना यह महल गुलाबी रंग के पत्थरों के गुंबदों से सजा है।
महल में एक बड़ा सा दुर्ग है जिसके गुंबद सोने के पत्तरों से सजे हैं। ये सूरज की रोशनी में खूब जगमगाते हैं। अब हम मैसूर पैलेस के गोम्बे थोट्टी – गुड़िया घर – से गुजरते हैं। यहां 19वीं और आरंभिक 20वीं सदी की गुड़ियों का संग्रह है। इसमें 84 किलो सोने से सजा लकड़ी का हौद भी है जिसे हाथियों पर राजा के बैठने के लिए लगाया जाता था। इसे एक तरह से घोड़े की पीठ पर रखी जाने वाली काठी भी माना जा सकता है। »Join Telegram Channel«
गोम्बे थोट्टी के सामने सात तोपें रखी हुई हैं। इन्हें हर साल दशहरा के आरंभ और समापन के मौके पर दागा जाता है। महल के मध्य में पहुंचने के लिए गजद्वार से होकर गुजरना पड़ता है। वहां कल्याण मंडप अर्थात् विवाह मंडप है। उसकी छत रंगीन शीशे की बनी है और फर्श पर चमकदार पत्थर के टुकड़े लगे हैं। कहा जाता है कि फर्श पर लगे पत्थरों को इंग्लैंड से मंगाया गया था।
दूसरे महलों की तरह यहां भी राजाओं के लिए दीवान-ए-खास और आम लोगों के लिए दीवान-ए-आम है। यहां बहुत से कक्ष हैं जिनमें चित्र और राजसी हथियार रखे गए हैं। राजसी पोशाकें, आभूषण, तुन (महोगनी) की लकड़ी की बारीक नक्काशी वाले बड़े-बड़े दरवाजे और छतों में लगे झाड़-फानूस महल की शोभा में चार चांद लगाते हैं। (Top 15 Tourist Places) दशहरा में 200 किलो शुद्ध सोने के बने राजसिंहासन की प्रदर्शनी लगती है। कुछ लोगों का मानना है कि यह पांडवों के जमाने का है। महल की दीवारों पर दशहरा के अवसर पर निकलने वाली झांकियों का सजीव चित्रण किया गया है।
प्रवेशद्वार से भीतर जाते ही मिट्टी के रास्ते पर दाहिनी ओर एक काउंटर है जहाँ कैमरा और सेलफोन जमा करना होता है। काउंटर के पास है सोने के कलश से सजा मन्दिर है। दूसरे छोर पर भी ऐसा ही एक मन्दिर है जो दूर धुँधला सा नज़र आता है। दोनों छोरों पर मन्दिर हैं, जो मिट्टी के रास्ते पर है और विपरीत दिशा में है महल का मुख्य भवन तथा बीच में है उद्यान।
अंदर एक विशाल कक्ष है, जिसके किनारों के गलियारों में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर स्तम्भ है। इन स्तम्भों और छत पर बारीक सुनहरी नक्काशी है, दीवारों पर क्रम से चित्र लगे है, हर चित्र पर विवरण लिखा है, कृष्णराजा वाडियार परिवार के चित्र, राजा चतुर्थ के यज्ञोपवीत संस्कार के चित्र, विभिन्न अवसरों पर लिए गए चित्र, राजतिलक के चित्र, सेना के चित्र, राजा द्वारा जनता की फ़रियाद सुनते चित्र, लगभग सभी चित्र प्रसिद्ध चित्रकार राजा रवि वर्मा ने ही तैयार किए थे।
कक्ष के बीचों-बीच छत नहीं है और ऊपर तक गुंबद है जो रंग-बिरंगे काँचों से बना है। इन रंग-बिरंगे काँचों का चुनाव सूरज और चाँद की रोशनी को महल में ठीक से पहुँचाने के लिए किया गया था। निचले विशाल कक्ष देखने से पहले तल तक सीढियाँ इतनी चौड़ी कि एक साथ बहुत से लोग चढ सकें। पहला तल पूजा का स्थान था, यहाँ सभी देवी-देवताओं के चित्र लगे थे। साथ ही महाराजा और महारानी द्वारा यज्ञ और पूजा किए जाने के चित्र लगे थे।
दूसरे तल पर दरबार हाँल है। बीच के बड़े से भाग को चारों ओर से कई सुनहरे स्तम्भ घेरे हैं इस घेरे से बाहर बाएँ और दाएँ गोलाकार स्थान है। (Top 15 Tourist Places) शायद एक ओर महारानी और दरबार की अन्य महिलाएँ बैठा करतीं थी और दूसरी ओर से शायद जनता की फ़रियाद सुनी जाती थी क्योंकि यहाँ से बाहरी मैदान नज़र आता है और बाहर जाने के लिए दोनों ओर से सीढियाँ भी है जहाँ अब बाड़ लगा दी गई है। इसी तल पर पिछले भाग में एक छोटे से कक्ष में सोने के तीन सिंहासन है – महाराजा, महारानी और युवराज के लिए।
हफ्ते के अंतिम दिनों में, छुट्टियों में और खास तौर पर दशहरा में महल को रोशनी से इस तरह सजाया जाता है, आंखें भले ही चौंधिया जाएं लेकिन नजरें उनसे हटना नहीं चाहतीं। बिजली के 97,000 बल्ब महल को ऐसे जगमगा देते हैं जैसे अंधेरी रात में तारे आसमान को सजा देते हैं।
पता: सय्याजी राव रोड, मैसूर, कर्नाटक 570001
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Mahabodhi Temple, Bodhgaya
Top 15 Tourist Places – 15.Mahaboudhi Temple, Bodhgaya History -: बोधगया, जिसे दुनिया का सबसे पवित्र बौद्ध स्थल माना जाता है, हर साल हजारों आगंतुकों को आकर्षित करता है, सभी निवासी भिक्षुओं के साथ ध्यान और प्रार्थना में भाग लेने के लिए आकर्षित होते हैं। यह विहार मुख्य विहार या महाबोधि विहार के नाम से भी जाना जाता है। इस विहार की बनावट सम्राट अशोक द्वारा स्थापित स्तुप के समान है। इस विहार में गौतम बुद्ध की एक बहुत बड़ी मूर्त्ति स्थापित है। यह मूर्त्ति पदमासन की मुद्रा में है।
यहां यह अनुश्रुति प्रचिलत है कि यह मूर्त्ति उसी जगह स्थापित है जहां गौतम बुद्ध को ज्ञान बुद्धत्व (ज्ञान) प्राप्त हुआ था। विहार के चारों ओर पत्थर की नक्काशीदार रेलिंग बनी हुई है। ये रेलिंग ही बोधगया में प्राप्त सबसे पुराना अवशेष है। इस विहार परिसर के दक्षिण-पूर्व दिशा में प्राकृतिक दृश्यों से समृद्ध एक पार्क है जहां बौद्ध भिक्खु ध्यान साधना करते हैं। आम लोग इस पार्क में विहार प्रशासन की अनुमति लेकर ही प्रवेश कर सकते हैं। »Join Telegram Channel«
इस विहार परिसर में उन सात स्थानों को भी चिन्हित किया गया है जहां बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद सात सप्ताह व्यतीत किया था। जातक कथाओं में उल्लेखित बोधि वृक्ष भी यहां है। यह एक विशाल पीपल का वृक्ष है जो मुख्य विहार के पीछे स्थित है। बुद्ध को इसी वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। वर्तमान में जो बोधि वृक्ष वह उस बोधि वृक्ष की पांचवीं पीढी है। विहार समूह में सुबह के समय घण्टों की आवाज मन को एक अजीब सी शांति प्रदान करती है।
मुख्य विहार के पीछे बुद्ध की लाल बलुए पत्थर की 7 फीट ऊंची एक मूर्त्ति है। (Top 15 Tourist Places) यह मूर्त्ति विजरासन मुद्रा में है। इस मूर्त्ति के चारों ओर विभिन्न रंगों के पताके लगे हुए हैं जो इस मूर्त्ति को एक विशिष्ट आकर्षण प्रदान करते हैं। कहा जाता है कि तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में इसी स्थान पर सम्राट अशोक ने हीरों से बना राजसिहांसन लगवाया था और इसे पृथ्वी का नाभि केंद्र कहा था। इस मूर्त्ति की आगे भूरे बलुए पत्थर पर बुद्ध के विशाल पदचिन्ह बने हुए हैं। बुद्ध के इन पदचिन्हों को धर्मचक्र प्रर्वतन का प्रतीक माना जाता है।
बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद दूसरा सप्ताह इसी बोधि वृक्ष के आगे खड़ा अवस्था में बिताया था। यहां पर बुद्ध की इस अवस्था में एक मूर्त्ति बनी हुई है। इस मूर्त्ति को अनिमेश लोचन कहा जाता है। मुख्य विहार के उत्तर पूर्व में अनिमेश लोचन चैत्य बना हुआ है।
मुख्य विहार का उत्तरी भाग चंकामाना नाम से जाना जाता है। इसी स्थान पर बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ित के बाद तीसरा सप्ताह व्यतीत किया था। अब यहां पर काले पत्थर का कमल का फूल बना हुआ है जो बुद्ध का प्रतीक माना जाता है।
महाबोधि विहार के उत्तर पश्चिम भाग में एक छतविहीन भग्नावशेष है जो रत्नाघारा के नाम से जाना जाता है। इसी स्थान पर बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद चौथा सप्ताह व्यतीत किया था। दन्तकथाओं के अनुसार बुद्ध यहां गहन ध्यान में लीन थे कि उनके शरीर से प्रकाश की एक किरण निकली। प्रकाश की इन्हीं रंगों का उपयोग विभिन्न देशों द्वारा यहां लगे अपने देश के झंडो में किया गया है।
बुद्ध ने मुख्य विहार के उत्तरी दरवाजे से थोड़ी दूर पर स्थित अजपाला-निग्रोधा वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्ति के बाद पांचवा सप्ताह व्यतीत किया था। बुद्ध ने छठा सप्ताह महाबोधि विहार के दायीं ओर स्थित मूचालिंडा क्षील के नजदीक व्यतीत किया था। यह क्षील चारों तरफ से वृक्षों से घिरा हुआ है। इस क्षील के मध्य में बुद्ध की मूर्त्ति स्थापित है।
इस मूर्त्ति में एक विशाल सांप बुद्ध की रक्षा कर रहा है। इस मूर्त्ति के संबंध में एक दंतकथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार बुद्ध प्रार्थना में इतने तल्लीन थे कि उन्हें आंधी आने का ध्यान नहीं रहा। बुद्ध जब मूसलाधार बारिश में फंस गए तो सांपों का राजा मूचालिंडा अपने निवास से बाहर आया और बुद्ध की रक्षा की।
इस विहार परिसर के दक्षिण-पूर्व में राजयातना वृक्ष है। बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना सांतवा सप्ताह इसी वृक्ष के नीचे व्यतीत किया था। यहीं बुद्ध दो बर्मी (बर्मा का निवासी) व्यापारियों से मिले थे। इन व्यापारियों ने बुद्ध से आश्रय की प्रार्थना की। इन प्रार्थना के रूप में बुद्धमं शरणम् गच्छामि (मैं बुद्ध को शरण जाता हू) का उच्चारण किया। इसी के बाद से यह प्रार्थना प्रसिद्ध हो गई।
पता: बोधगया, बिहार 824231